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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग ५

अर्जुन को पुलिस ले जाती है । उधर अंजली अपने पिता से उससे सब कुछ छुपाने की वजह से माँफी मांगती है। दुर्जन उसके आंसू पोंछते हुए कहता है। मत रो मेरी बेटी इसमें तुम्हरी कोई गलती नही है , यहां हर किसी को अपनी जिंदगी जीने का हक है । बुरा सपना समझ कर भूल जाओ सब कुछ और घर चलो।


अंजली और दुर्जन घर आ जाते है। गांव वाले भी अपने घर लोट जाते है। दुर्जन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करता है।
घर पोहोच कर उसकी मां गांव की औरतों के साथ बैठी होती है। अंजली अपनी दादी से गले लगती है । दादी पास बैठी गांव की औरतों की वजह से उसे कुछ खरी खोटी नही सुनाती । अंजली अपने कमरे मैं चली जाती है। दुर्जन गांव की औरतों का शुक्रिया करता है और देर रात होने की वजह से उनसे जानें का कहता है ।

दुर्जन थक चुका था इस लिए बिना कुछ खाए पिए अम्मा के पास पढ़ी खाट पर लेट कर बोला , अम्मा अगर आज अंजली को कुछ हो जाता तो इसकी मां को क्या मूंह दिखाता । वो इसको मेरे हवाले कर के गई थी । अम्मा ओ अम्मा तू सुन रही है ना दुर्जन ने मां को हिलाते हुए कहा , लेकिन जब तक वो सो चुकी होती है।

उधर अंजली इतना डर गई थी की उसने अपने कमरे की कुण्डी तक लगा ली थी। ओर पलंग पर रोती हुई सोच रही थी कि अगर आज उसके पिता सही समय पर नही आते तो आज उसकी जिंदगी बर्बाद हो चुकी होती। यही सोचते सोचते ना जाने कब उसकी आंख लग गई और वो सो गई।


अगली सुबह अंजली की आवाज़ दादी  के चिल्लाने से खुली । जो हमेशा की तरह उसे ही भला बुरा सुना रही थी । अब हम गांव में किसी को मूंह केसे दिखाए गै बस इसी दिन से डरती थी मैं । अब कोन ब्याह कर ले के जवेगा छोरी को। अम्मा ऐसा कुछ नही हुआ जैसा तू समझ रही है मेरी बेटी की कोई गलती नही थी । जिस की गलती थी उसको पुलिस पकड़ कर ले गई । बल्कि मुझे तो गर्व है अपनी बेटी पर की वो किसी पर होते जुल्म को तमशबीन की तरह देखने के बजाय उस जुल्म को रोकने की बहादुरी रखती है। मेरी तो जुबान बंद करवा देगा पर गांव वालो की जुबान को केसे बंद करवाएगा वो जब पीठ पीछे बाते करेंगे । कोई बाते नही करेगा गांव वालो को सब को पता है गलती किस की थी और कोन गलत था। ओर अगर इस के बावजूद भी कोई मेरी बेटी पर ऊंगली उठाएगा तो मै उसकी ऊंगली तोड़ दूंगा।


इसी बीच अंजली अपने कमरे से बाहर आती है और सब को नमस्ते करती हुईं पिता और दादी के पैर छू कर आशीर्वाद लेती है । उसकी दादी उसकी तरफ़ बिना देखे ही । अधूरे मन से आशीर्वाद देती है। अंजली रसोई मै नाश्ता बनाने जाती है । तभी दुर्जन कहता है। बेटा स्कूल नही जाना क्या आज , आज रविवार तो नही है। पिता जी वो,,,,, वो । 

वो   वो क्या बेटा दुर्जन कहता है।

पिता जी दादी ठीक कहती है । अब मुझे घर के काम सीखना चाहिए कब तक आप मेरे नाज नखरे उठाएंगे। अंजली कहती है।

ओर तुम्हारी पढ़ाई । दुर्जन कहता है।

सही कह रही है छोरी । देर से ही सही अक्ल तो आई इसे । कोई जरूरत नही पढ़ाई शडाई की करना तो आखिर मै चूल्हा चौका ही है अपने पति के घर जाकर । दादी कहती है।

अम्मा आप शांत रहो थोड़ा ये मेरा और मेरी बेटी का मामला है । में भी तो पता करू पढ़ाई छोड़ने की वजह किया है। 


पिता जी । मै पढ़ाई नही छोड़ रही बस स्कूल नही जाना चाहती वैसे भी परीक्षाएं आने वाली है स्कूल मै अब पढ़ाई भी नही हो रही है इससे अच्छा तो मै घर पर रहकर अपनी तैयारी भी कर लूंगी और आपका हाथ भी बटा दूंगी। अंजली कहती है।


मै जानता हू कि तुम स्कूल क्यू नही जाना चाहती । तुम लोगो का सामना करने से डर रही हो कल वाले हादसे की वजह से बेटा , परेशानी से भागना परेशानी का हल नही है उसका डट के सामना करना उसका हल है। लोग हमेशा बाते करते है चाहे तुम सही हो या गलत । क्या तुमने कोई गलत काम किया जिस की वजह से तुम अपने आप को यू इस तरह घर मै कैद कर देना चाहती हो । दुर्जन कहता है।

नही पिता जी । मेने कोई ऐसा काम नही किया और ना कभी करूंगी जिससे आप का सर नीचे झुक जाए। मै तो बस कल वाले हादसे से डर गई हू । ऐसा लगता है की वो फिर मुझे आपसे कही दूर ले जाएगा । अंजली कहती है।

बेटा मै जानता हूं। मुझे अपनी परवरिश पर पूरा भरोसा है। लेकिन बेटा अगर तुम कल वाले हादसे के बाद अपने आप को यू इस तरह सब कुछ छोड़ छाड़ कर घर मै कैद कर लोगी तो । हा जरूर मेरा सिर नीचे झुक जाएगा क्योंकि फिर गांव वाले यही समझे गै की तुम्हारी गलती रही होगी जो इस तरह किसी का सामना न करने के डर से खुद को बंद कर लिया है घर मै। अगर तुम मेरी बहादुर बेटी हो ओर अगर तुम्हे लगता है की तुम्हारा इस मामले मै कोई कसूर नही था तो तुम अभी इसी वक्त इस रसोई से निकल कर सीधा अपने कमरे मै जाकर बैग उठा कर स्कूल जाओ गी। दुर्जन कहता है।



पर पिता जी , पर  वर  कुछ नही तुम अभी और इसी वक्त स्कूल जा रहीं हो। मै देखता हू कि कोन मेरी बेटी पर ऊंगली उठाता है। दुर्जन गुस्से मै कहता है ।

अंजली , दुर्जन के गले लग कर खूब रोती है। ओर अपने कमरे की तरफ़ बढ़ने लगती हैं।

पछताएगा दुर्जन पछताएगा । जो इंसान एक बार ऐसा कर सकता है तेरी बेटी के साथ क्या वो दोबारा नही कर सकता माना की वो जैल मै लेकिन उसका बाप एक बोहोत ही अमीर आदमी है। क्या वो अपने बेटे और अपनी बेइज्जती का बदला नही लेना चाहेगा । ना भेज इसे स्कूल अब ना भेज । दादी कहती है।


दुर्जन अंजली को स्कूल छोड़ आता है । उसको देखने के बाद सारे स्कूल मै सिर्फ और सिर्फ उसी की बाते हो रही थी । कुछ ने तो उसे घेर लिया और उससे कल रात वाले वाकिया पूछने लगती। पर तभी टीचर ने उन सबको वहा से भगाया।

क्लास मै वो खिड़की के पास नही बैठी । लेकिन फीर भी वो बार बार  डरते हुए  उस खिड़की की तरफ़ देखती की कही कोई गाड़ी तो उसके इतंजार मै नही खड़ी। वो दिन जैसे तैसे कटता गया एक के एक टीचर आता पढ़ाता और चला जाता लेकिन अंजली का सारा ध्यान कल वाले हादसे की तरफ़ होता। लंच ब्रेक मै भी वो अंदर बैठी रहीं । वो जब भी बाहर देखती उसे लगता की सब उसी के बारे मैं बात कर रहे है। पर ऐसा नही था ।

छुट्टी मै अंजली बाहर अपने पिता को देख खुश हो जाति है और उनको गले लगाकर रोने लगाती है । ओर कहती है पिता जी सब मेरे ही बारे मैं बाते कर रहे थे । दादी ठीक कह रही थी। मुझे अब स्कूल नही आना चाहिए।


बेटा रो मत तुम तो बड़ी बहादुर हो, बेटा एक बात याद रखो सच को आंच नही । अगर तुम सही हो तो ये लोग चाहें कुछ भी कहे , करे तुम्हे इनकी परवाह नही करना चाहिए। परेशानी कैसी भी हो बस तुम्हे सच पर  खड़े और डटे रहें का हुनर आता हो । ओर अब कभी भी स्कूल छोड़ने की बात अपनी जुबान पर मत लाना । दुर्जन कहता है।

अंजली को पिता की बाते सुन काफी हौसला मिलता है और वो हस्ते मुस्कुराते पिता के साथ घर की ओर चली जाति है।

इसी तरह कई दिन गुजर जाते है। मंजू भी अब स्कूल आने लगाती है। दोनो सहेलियां धीरे धीरे उस हादसे के भूलने लगी थी । गांव वालो के लिए भी वो खबर पुरानी हो चली थी। अंजली अब पहले वाली अंजली हो गई थी। ओर तो ओर मंजू की सगाई भी नजदीक आ जाती है ।

सगाई से एक दिन पहले दोनो सहेलियां आपस मै बाते करती है। मंजू, मुझे तो यकीन नही हो रहा की घर वाले मेरी शादी उससे करवाने को राज़ी हो गए जिससे मैं प्यार करती हूं। बस भगवान करे सब अच्छे से निबट जाए बिना किसी अनहोनी के । मुझे तो बोहोत घबराहट हो रही है।

अंजली कहती है। तू परेशान मत हो सब कुछ ठीक होगा। ओर हा अगले महीने परिक्षाय भी है भूल मत जाना सगाई की खुशी मै। 

हा यार याद है । पता नही कब जान छूटेगी इस पढ़ाई से। जब हाईस्कूल मै थे तो ये कहते थे बस हाईस्कूल कर लो फिर मजे है । अब पता नही ये इन्टर कब होगा । में तो आगे पढ़ूगी नही बस मुझसे नही हो पाएगा शादी के बाद घर भी और पढ़ाई भी मंजू अंजली से कहती है।


अंजली कहती है। मै तो आगे तक पढूंगी जब तक कुछ बन ना जाऊं। चाहें मेरी शादी हो जाए । मै पढ़ाई नही छोड़ सकती।

अच्छा ये पढ़ाई की बाते छोड़ । ये बता मेरी सगाई पर क्या पहने गी । अरे तुझ पर तो सब अच्छा लगेगा मै भी केसे सवाल पूछती हूं। परेशानी तो हमे है सावले रंग वालो को समझ ही नही आता क्या पहने जिस में अच्छे लग सके।
 
आदमी का दिल अच्छा होना चाहिए चेहरा तो समय के साथ बूढ़ा होता जाता है। किस ने कहा तू सावली है मेरी नजरो से देख तू कितनी प्यारी लगती है। बिलकुल परी जैसी , अंजली कहती है।

ओह , अंजली मेरी प्यारी दोस्त सब तेरी नज़र से तो नही देख सकते । काश सब की तेरी जेसी सोच होती कितना अच्छा होता मंजू उसको गले लगाते हुए कहती है।

चल अब मुझे इजाजत दे। शाम हो चली दादी इतंजार करती होंगी। ओर फिर कपड़े भी निकाल कर स्त्री करना है। अंजली कहती है।

अच्छा सुन , कल सुबह जल्दी आ जाना मुझे तेरी बोहोत जरूरत पड़ेगी कल । ओर मुझे तू ही तेयार करना । मंजू मुस्कुराते हुए कहती है। ओर दोनों सहेलियां विदा लेती है एक दूसरे से

अंजली घर पोहोच कर अपने संदूक मै कल सगाई मै पहनने के लिऐ कुछ कपड़े निकलती है । तभी उसकी नज़र एक कोने मै रखे लाल जोड़े पर पड़ती है। उसे उठाकर देखती है तो वो एक लंहगा था जो उसका नही था । वो सोच रही थी कि ये किसका है और उसके संदूक मै कहा से आया।

वो उसे लेकर बाहर बैठी दादी के पास जाती है। दादी ये लहंगा किस का है और मेरे संदूक मै कहा से आया । दादी बुरा स मूंह बना कर तेरी मां छोड़ कर मरी थी। ओर तो कुछ था नही उस के पास बस यही एक जोड़ा मरते वक्त तेरे बाप को वसीयत कर चली थी। की जब वो जवान हो जाए तो उसे दे देना ।


दुर्जन भी आ जाता है। अरे ये तुम्हे मिल ही गाया ये तुम्हारे संदूक मै मेने कुछ दिन पहले ही रखा था । जब तुम मंजू के घर गई थी। ये तुम्हारी मां का था । जो वो तुम्हारे लिए छोड़ कर गई थी । मै ने इसे अपने पास रखा था अब तक लेकिन अब तुम जवान हो इसकी हिफाजत कर सकती हो इस लिए मै ने इसको तुम्हारे संदूक मै रख दिया था। जिंदगी का भरोसा नही कि कब यमराज आ जाए प्राण निकालने और मैं ये तुम्हें दिए बगैर मर जाता। अब तुम इसको अपनी शादी पर पहनना ।


ओह मेरी प्यारी मां अंजली । मै इसे जरूर पहनूगी। ये मेरी मां की आखिरी निशानी है । मै इसे बोहोत संभाल कर रखूंगी । वो उसे लेकर अपने कमरे मै चली जाती हैं। उस दिन उसे अपनी मां की बोहोत याद आती है । वो खाना खा कर सोने चली जाती है और सुबह होने का इतंजार करती हैं। 





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3 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:16 PM

Very nice👌

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The traveller

26-Mar-2022 01:39 AM

👌👌👌

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वैभव

09-Feb-2022 07:25 PM

Very nicely written

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